समीर शर्मा | इंदौर | बीएसएफ इंदौर | भगत सिंह
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शहीद -ए – आज़म भगत सिंह जी की पिस्टल इंदौर में

विषय वस्तु :
इंदौर सीएसडब्ल्यूटी ने जब अपने भण्डार के एक बंद कमरे में पड़ी एक पिस्टल को निकाला और इसके रिकॉर्ड की पुष्टि की तो पता चला कि यह अमेरिका में बनी 0.32 बोर, बट नंबर 460-एम, बॉडी नंबर-168896 पिस्टल कोई मामूली नहीं …शहीद -ए – आज़म भगत सिंह जी की पिस्टल है ……
क्या है इतिहास इस पिस्टल का ?
रिकॉर्ड जांचने के बाद यह पुष्टि हो गई है कि इसी पिस्टल से 17 दिसंबर, 1928 को भगतसिंह ने जॉन सेंडर्स की लाहौर में हत्या की थी।

कैसे हुई पुष्टि की यही है वह पिस्टल ?
कई दशकों पहले जब इस पिस्टल की छानबीन शुरू हुई थी तबशहीद भगत सिंह के कोर्ट केस की फाइलों और पड़ताल हुई और उन फाइलों से पता चला कि गुम पिस्टल अक्टूबर, 1969 तक पंजाब पुलिस अकादमी फिल्लौर के कब्जे में थी।
फिर फिल्लौर अकादमी की फाइलों से पता चला कि उक्त पिस्टल फिल्लौर अकादमी से 7 अक्टूबर, 1969 को 7 अन्य हथियारों के साथ इंदौर सीएसडब्ल्यूटी ट्रांसफर की गई थी।
यहां द्वितीय विश्व युद्ध के हथियारों के साथ इसे म्यूजियम में डिस्प्ले कर दिया गया। हथियार खराब न हो इसलिए इस पर पेंट किया गया।

बस यहीं से फिर इंदौर में इसकी ढूंढाई हुई
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कुछ समय पहले बीएसएफ आईजी पंकज गूमर को इसकी सूचना मिली तो डिटेल के आधार पर उन्होंने म्यूजियम में रखे हथियारों और रिकॉर्ड की जांच कराई। जांच में ये सामने आया कि डिस्प्ले हथियारों के अलावा कुछ हथियार एक बंद कमरे में रखे हैं। यह कमरा खोला तो 1969 में इंदौर लाई गई पिस्टल मिली।
केमिकल से इसका पेंट हटाकर भगतसिंह की अमेरिका में बनी 0.32 बोर, बट नंबर 460-एम, बॉडी नंबर-168896 वाली यह पिस्टल से नंबर मैच हो गया।
फिल्लौर से इंदौर सीएसडब्ल्यूटी में पिस्टल के ट्रांसफर संबंधी दस्तावेजों से भी इसकी पुष्टि हुई है।
शहीदों का परिवार भी इंदौर आया इसे देखने :
देश के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले शहीद भगतसिंह की पिस्टल देख भतीजे करनजीत सिंह संधू भावुक हो गए। वे 27 जनवरी को पिस्टल देखने विशेष तौर पर इंदौर आए। उनके साथ राजगुरु के भतीजे सत्यशील राजगुरु, हर्षवर्धन राजगुरु भी थे।
भगतसिंह की मदद करने वाले मनीराम अानंद की पोती कृति आनंद भी हॉलैंड से आई थीं।

भगत सिंह के भतीजे करनजीत कहते हैं कि भगतसिंह की पिस्टल को देख बेहद सुखद अनुभव है। भगतसिंह से जुड़ी ज्यादातर वस्तुओं खटरकलां संग्रहालय में रखी हैं, लेकिन यह पिस्टल सालों से इंदौर में है।
अब इस पिस्तौल को यहीं पर म्यूजियम में रखा जाना चाहिए। वैसे इस पिस्टल को इतना सम्भालने के लिए बीएसफ इंदौर सीडब्ल्यूएसटी धन्यवाद की पात्र है…
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समीर शर्मा | 9755012734
(फोटो सौजन्य : दैनिक भास्कर व् अन्य इन्टरनेट स्त्रोत )
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आप पुराने शहर को भी कवर कीजिये प्लीज़ सर।